- प्रशांत सी बाजपेयी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी शहीद अशफाक उल्ला खां ने अंग्रेज़ी शासन से देश को आज़ाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। आज देश के लिए कुर्बानी देने वाली वीर शहीद को 123वीं जयंती पर देश नमन कर रहा है।
शहीद क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी का जन्म शहाजहांपुर में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ और मात्र 27 वर्ष की आयु में 19 दिसम्बर 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। काकोरी केस में सक्रिय भाग लेने के आरोप में उनके तीन साथियों-राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को भी फांसी दी गई थी।
काकोरी केस के शहीदों ने भारतीय प्रजातंत्र संघ की नींव रखी और इन्हीं शहीदों से प्रेरित होकर उनके साथी चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह और जितेंद्र नाथ दास ने “हिन्दोस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” के माध्यम से क्रांतिकारी परम्पराओं को अपने बलिदान से प्रतिपादित किया और प्रजातंत्र, समाजवाद व धर्म निरपेक्षता के राष्ट्रीय लक्ष्यों को निर्धारित किया। ये आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।
(लेखक: स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति के अध्यक्ष हैं।)