उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में तिरंगा फहराने और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी के आदेश के बाद दारुल उलूम ने १० साल बाद अपनी संस्था की मुख्य इमारत के मुख्य गेट पर तिरंगा फहराया। हालांकि इससे पूर्व स्वतंत्रता दिवस पर संस्था के छात्रावास में कार्यक्रमों का आयोजन होता था लेकिन इस बार दारुल उलूम के मुख्य गेट पर तिरंगा फहराकर आलोचकों को सीधा जवाब दिया गया।
संस्था की दारुल हदीस में इस बार उस्तादों के साथ शिरकत करने वाले मोहतमिम मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि हिंदुस्तान की आज़ादी में देश के लाखों मुसलमानों के योगदान को नज़र अंदाज़ नही किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आज मुल्क को तोड़ने वाली ताकतें मुसलमानों को शक की नज़रों से देख रही हैं और उनपर तरह-तरह की तोहमतें लगाई जा रही है लेकिन इन सबसे आज़ादी में दिए योगदान को कम नहीं किया जा सकता।
वरिष्ठ उस्ताद ओर जमीयत उलेमा हिन्द के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आजादी की लड़ाई 1857 से बाकायदा लड़ी गई। जबकि उलेमा ने इस लड़ाई को ओर सौ साल पहले ही शुरू कर दिया था। मदनी ने कहा कि बापू को महात्मा का खिताब देवबंद से ही मिला था। और शेखुल हिन्द मौलाना महमूद उल हसन ने महात्मा गांधी को देश का भरमण करा सारे हिंदुस्तान के हिन्दू मुस्लिम को साथ जोड़ा था । अन्य वक्ताओं ने मुल्क को फिरकापरस्ती से बचाने के लिए एक मंच पर आने का आह्वान किया।