CM पद से इस्तीफे की ममता बनर्जी ने की पेशकश

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नई दिल्ली – तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की शनिवार को पेशकश की लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया। बनर्जी ने चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पहला संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने पश्विम बंगाल में वोट प्राप्त करने के लिए लोगों का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण किया। बनर्जी ने कहा, ”तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक बैठक में मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की पेशकश की। यद्यपि पेशकश पार्टी द्वारा खारिज कर दी गई और मैं पद पर बनी रह सकती हूं।”

उन्होंने भाजपा के शानदार प्रदर्शन पर संदेह उत्पन्न किया। उन्होंने दावा किया, ”यह बड़ी जीत संदेह से परे नहीं है। यह काफी आश्चर्यजनक है कि कैसे विपक्ष का कई राज्यों में पूरी तरह से सफाया हो गया। कुछ ‘जोड़तोड़ हैं’ और विदेशी शक्तियां भी शामिल हैं।” तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी कहा कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए राज्य में आपातकाल जैसी स्थिति बनायी।

लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन घोर निराशाजनक रहा है जहां उसके सांसदों की संख्या साल 2104 के 34 के मुकाबले इस बार घटकर 22 रह गई है। भाजपा ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की और उसका वोट प्रतिशत 2014 के 17 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 40.5 प्रतिशत तक बढ़ गया। यहां तक कि जिन सीटों पर टीएमसी जीती वहां भी भाजपा दूसरे नंबर पर रही जबकि वाम दल के हिस्से तीसरा स्थान आया।

पार्टी के इस खराब प्रदर्शन का अब विश्लेषण शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस को स्तब्ध करने वाले प्रदर्शन के पीछे मोदी लहर और गत वर्ष खून-खराबे के साथ हुए पंचायत चुनावों के बाद टीएमसी द्वारा अल्पसंख्यकों का कथित तौर पर तुष्टीकरण मतदाताओं के ध्रुवीकरण की वजह माना जा रहा है।

भगवा पार्टी का जानाधार अचानक बढ़ने से हैरान तृणमूल कांग्रेस खेमा बंट गया है। स्थानीय नेताओं ने शीर्ष पार्टी पदों पर काबिज लोगों की ”दूरदर्शिता” की कमी और उनके ”अहंकार” भरे रवैये को खराब चुनावी प्रदर्शन के पीछे की मुख्य वजह बताया। हालांकि टीएससी का वोट प्रतिशत इस बार बढ़ा है। उसे 2014 के 39 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 43 प्रतिशत वोट मिले हैं, लेकिन वह दक्षिण बंगाल के आदिवासी बहुल जंगलमहल और उत्तर में चाय बागान वाले क्षेत्रों में अपना गढ़ बचाए रखने में नाकाम रही।