केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए ‘UPS’ लागू किए जाने की घोषणा के बावजूद ‘पुरानी पेंशन’ या उस जैसे आर्थिक फायदे देने की मांग को लेकर कर्मचारी लामबंद हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अब उनकी दो मांग बची हैं। पहली, VRS के लिए 50 प्रतिशत पेंशन का आधार 25 साल सेवा के अनिवार्य सेवाकाल को बीस वर्ष किया जाए।
दूसरा, सेवानिवृत्ति /अनिवार्य सेवानिवृत्ति/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी अंशदान की जीपीएफ की तरह पूर्ण वापसी हो और 50 फीसदी पेंशन की पक्की गारंटी मिले। कुछ दिन पहले BSF से VRS लेने वाले सिपाही संदीप कुमार (सामान्य ड्यूटी) को 20 वर्ष, तीन माह और 26 दिन की सेवा के बाद NPS में 11500 रुपये मासिक पेंशन मिली है। अगर वे ओपीएस में होते तो उन्हें 32742 रुपये प्रति माह मिलते। UPS में बतौर पेंशन, 29194 रुपये हर माह उनके खाते में आते।
AU के रिपोर्ट केअनुसार ऑल इंडिया NPS एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल बताते हैं, UPS को लेकर कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। इस बाबत केंद्र सरकार से वार्ता जारी है। उक्त दो मांगों को लेकर वित्त मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही वित्त मंत्री, कर्मचारी संगठनों से बातचीत करेंगी। पटेल ने दावा किया है कि यूपीएस का नोटिफिकेशन जारी होने से पहले सरकार, कर्मचारियों की दो मांगों पर सहानुभूति से विचार कर सकती है।
पहली मांग है, जब NPS में पहले से ही यह व्यवस्था है कि आप चाहें तो रिटायरमेंट पर 100 प्रतिशत फंड को एन्युटी के लिए निवेश कर सकते हैं। यानी इस मामले में एनपीएस और यूपीएस एक जैसे हो गए। NPS में पूरा निवेशित फंड आपके नॉमिनी को वापस मिल जाता है, लेकिन यूपीएस में वापस सरकार के पास चला जाएगा।
इस लिहाज से भी नई पेंशन व्यवस्था में दोष है। जब तक सरकार, कर्मचारी अंशदान को वापस नहीं करती, तब तक यूपीएस अस्वीकार है। दूसरी मांग, 50 प्रतिशत पेंशन का प्रावधान 20 साल की नौकरी पर ही किया जाए। वीआरएस के लिए भी 20 साल की नौकरी को ही 50 प्रतिशत पेंशन का आधार माना जाए। उसी दिन से कर्मचारी को पेंशन मिले, तभी न्याय संभव है।
इस साल केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार कर एक नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने इसे अगले वर्ष पहली अप्रैल से लागू करने की बात कही है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था। वजह, एआईडीईएफ की मांग थी कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
कर्मचारियों को एनपीएस में सुधार या कोई नई पेंशन योजना मंजूर नहीं है। दूसरे कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस पर नाखुशी जताई। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के सदस्यों ने दो अक्तूबर को प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वे गैर-अंशदायी ‘पुरानी पेंशन’ योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इनके अलावा रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम के विरोध में खड़े हो गए हैं। वे भी आवाज बुलंद कर रहे हैं।