कोरो’ना वाय’रस वैश्विक महामा’री की वजह से सभी देशो को मु’सीबतों का सामना पड़ रहा है। इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है और लॉ’कडा’उन लगने के कारण बहुत से लोगों का रोज’गार भी चला गया है। इसका प्रभाव मज़दूरों पर बहुत ज़्यादा पड़ा अब सरकार कोशिश कर रही है कि देश की अर्थव्यवस्था को भी संभाला जाए और साथ ही कोरो’ना संक्र’मण से निपटने के लिए भी कुछ उपाए निकाला जाए। इसी के चलते भारतिय रेलवे (India Railway) की आमदनी में भी बहुत गिरावट आई है। और रेपिर्ट्स के मुताबिक बता दें कि पिछले साल के अप्रैल-मई के महीनों को मद्देनजर रख कर देखा जाए तो उनके मुकाबले में रेलवे की कमाई (Indian Railway Earning) में इस साल अप्रैल-मई में 58 फीसदी की गिरावट आई है। और इसी के चलते रेलवे के फाइनेंशियल कमिश्नर ने खर्चों को कम करने का सुझाव सभी ज़ोन के GM जारी किए हैं और इसमें डीज़ल इंजन को बेचने और फ्यूल बचाने जैसे अहम सुुझाव दिए गए है। सूत्रों से बताया जा रहा है कि रेलवे के फाइनेंशियल कमिश्नर ने कहा कि, “फ्यूल बचाने पर सभी जोन को ध्यान देना होगा। नॉन ट्रैक्शन एनर्जी की खपत 25% तक कम करें। आपको बता दें कि Traction energy से ट्रेन चलती है।”
बताया गया कि सालाना जीएम इंस्पेक्शन में इस बात का ख्याल करें कि कम से कम स्टाफ हो ताकि खर्चा ज़्यादा न हो। बताया जा रहा है कि किसी भी तरह की ज़रूरी फ़ाइल अगर भेजनी हो तो उसके लिए स्टाफ को न भेजा जाए बल्कि उसकी जगह office, E daak, का इस्तेमाल किया जाए इससे स्टेशनरी, कार्ट्रेज का इस्तेमाल 50 फीसद कम होगा और सभी इस्तेमाल करी जाने वाली गाड़ियों के खर्चे भी कम किए जाएं। कहा गया है कि “फर्नीचर, अतिरिक्त व्हीकल, कंप्यूटर, प्रिंटर का procurement न करें और सभी तरह के उद्घाटन और सेरीमोनियल कार्यक्रम जहां तक मुमकिन हो ऑनलाइन पर ज़ोर दें और इन सबके अलावा कैश अवार्ड सीमित किए जाएं। और इसके अलावा सभी तरह के एंटरटेनमेंट, पब्लिसिटी, ट्रेवल और मीटिंग्स को भी कम इस्तेमाल में लाया जाए।”
इन हालात को मद्देनजर रखते हुए फैसला लिया गया है कि सिर्फ सेफ्टी से जुड़े पदों को ही बनाया जाए और इसके अलावा कोई और दूसरे पद न बनाए जाएं। और कहा गया है कि पिछले 2 साल में बनाए गए सभी नए पदों (posts) को रिव्यू कराया जाए। अगर उन सभी नए पदों पर भर्तियां अगर अभी न की गई हों तो उस पर अभी रोक लगाई जाए। सूत्रों से ये भी बताया जा रहा है कि सभी OT और TA (Travelling Allowance) को 50% और दूसरे Allowances को 33-50% तक कम किया जाए। कोई नया procurement को लेकर भी खासा ध्यान देना जरूरी है और 31 साल से पुराने डीजल locos को भी बेचें जाएं। सूत्रों से बताया जा रहा है कि रेलवे के फाइनेंशियल कमिश्नर ने कहा है कि, “वित्त वर्ष 2018-19 के फाइनेंशियल ईयर से पहले के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स इनको 2 साल से कम अवधि में काम पूरा करना था उसको खत्म करें और कहा गया कि जब तक फंड न हो तब तक कोई प्रपोजल या टेंडर को अनुमति भी नही दी जाए। ज़ोन में होने वाले काम में कटौती करें और Fancy items को तरजीह देने के बजाए सिर्फ ज़रूरी आइटम्स को ही तरजीह दी जाए।