श्री हरि ने वनवासी बच्चों को व्यासपीठ दी। यही धर्म की भाषा है। वनवासी समाज को प्रेम व सम्मान चाहिए। राम का आत्मविश्वास राम है। जो रामजी का काम करे वह राम सेवक है। – श्याम जी गुप्त
क्या ऐसा कोई भारतवासी होगा जो भारत माँ को नहीं मानता हो? क्या कोई ऐसा हिन्दू होगा जिसे राम की याद न आती हो? यदि राम की याद आती है तो वनवासी समाज की दशा भी याद आना चाहिए। माता शबरी याद आना चाहिए। हमने वनवासी राम की पूजा की है न कि राजा राम की। वनवासी राम को भक्त नहीं कार्यकर्ता चाहिए। लक्ष्मी व सरस्वती के साधक विकास तो करेंगे किंतु रक्षा करेंगे दुर्गा के साधक। 1947 में देश आजाद हुआ किन्तु हिन्दू आज भी गुलाम है। कई प्रश्न हैं किन्तु समाधान कौन करेगा? संतों ने धर्म को मोक्ष का मार्ग बना दिया है। हम राम की कथा तो करते हैं किन्तु उनके कार्यों की चर्चा नहीं करते। वनवासी समाज धर्म को समझता है। सेवा स्वार्थ जगाती है जबकि संस्कार त्याग जगाता है और वह त्याग उसी धर्ममय सेवा से जागेगा। नगरवासियों के गले लगेगा।
यह उद्गार एकल के प्रणेता श्री श्याम गुप्त ने श्री हरि सत्संग समिति के रजत जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्री हरि ने वनवासी बच्चों को व्यासपीठ दी। यही धर्म की भाषा है। वनवासी समाज को प्रेम व सम्मान चाहिए। राम का आत्मविश्वास राम है। जो रामजी का काम करे वह राम सेवक है। उन्होंने कहा कि हमने सैनिक सम्मान योजना शुरू की है। हमने शबरी बस्ती योजना को घर-घर तक पहुंचाया है। जिस शबरी ने राम को रास्ता दिखाया उसी मिलन से भगवान राम मिले। क्या उनका चित्र कभी देखा है हिन्दू समाज ने? यह शबरी ही दुर्गा रूप में हिंदुओं की रक्षक है। जब अशोक सिंघल, डॉक्टर हेडगेवार, गुरूजी सभी हमें आशीर्वाद दे रहे होंगे तब हम अपना जीवन सार्थक मानेंगे।
छह व सात मार्च को दिल्ली में दो दिवसीय श्री हरि रजत जयंती आयोजन का शुभारंभ किया गया। इस महोत्सव की थीम थी ‘भारत के रंग-एकल के संग’। श्री हरि कथा योजना के अंतर्गत ‘एकल सुरताल ‘विभाग बनाया गया है जिसमें वनवासी जनजातीय के कुछ चुने हुए कथाकारों को प्रशिक्षित करके एक नृत्य नाटिका बनाई गई है और अमेरिका के विभिन्न स्थानों पर इसका सफल प्रदर्शन किया गया है। इस नृत्य नाटिका का प्रभाव भाषण से कहीं अधिक है, जो भारत भूमि की जड़ों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। भारत के कई शहरों में भी एकल सुरताल का सफल मंचन हुआ है। इसी तत्वाधान में एकल श्री हरि के रजत जयंती महोत्सव का शंखनाद हो हुआ है। गाँव–गाँव से कथाकार भाई-बहन तीन महीने का संन्यास लेकर निरन्तर कथा कर रहे हैं।
1996 में श्री हरि सत्संग समिति की कलकत्ता में तथा 1998 में मुंबई में स्थापना की गई थी। गत 25 वर्षों से ‘एकल श्री हरि’ ने 4 लाख वनवासी जनजातीय गाँवों में संस्कार केन्द्रों की स्थापना करने तथा 40 करोड़ वनवासी समाज को नगरीय समाज से जोड़ने व ऊर्जावान बनाने का संकल्प लिया है। इसी संकल्प की अनवरत यात्रा के रजत जयंती पड़ाव को महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया जो सभी को हर्षोल्लासित कर गया। महिलाओं तथा युवाओं को मुख्य रूप से इस कार्यक्रम में जोड़ा गया ताकि वनवासी गाँवों की सांस्कृतिक, संस्कारित, स्वावलंबी, स्वास्थ्य तथा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक वनवासी समाज को वे नजदीक से देख सकें, उन्हें अपना सकें।
इस दो दिवसीय महोत्सव के विभिन्न सत्रों में वरिष्ठ पत्रकार श्री रामबहादुर राय के अलावा इंडिया टी वी के प्रबंध संपादक श्री रजत शर्मा, विश्व हिंदू परिषद से श्री मिलिंद परांडे, ज़ी न्यूज़ के श्री सुधीर चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार श्री अंशुमान तिवारी, राज्यसभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा और वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती किरण चोपड़ा अतिथि के रूप में सम्मिलित हुये। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान राम के भजन से हुई। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि सुदूर वनांचल के हमारे कथाकार बंधु/भगिनियों ने मंच संचालन किया जो अद्भुत रहा और सभी उपस्थित श्रोताओं ने मुक्त कंठ से इस प्रयास की प्रशंसा की। कार्यक्रम में ‘स्वराज का शंखनाद-एकल अभियान’ पुस्तक का विमोचन भी हुआ। पुस्तक पर प्रकाश डालते हुये श्रीमती मंजूश्री श्रीवास्तव ने बताया कि यह एकल की यात्रा के आरंभ से भविष्य तक का दस्तावेज है जिसे सभी को पढ़ना चाहिये।
रामजी की सेना बनकर लाएँगे रामराज्य – रामबहादुर राय
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री रामबहादुर राय ने कहा कि एकल ने अपने ध्येय वाक्य को साकार किया है। महात्मा गांधी के सपनों का भारत सही मायनों में एकल ने बनाया है। गांधीजी का स्वप्न एकल का सपना बना है। एक लाख एकल गांव सत्ता के चार केंद्रों का प्रतिरूप हों, इस दिशा में एकल कार्य कर रहा है। हम स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत बनाएंगे। हम महात्मा गांधी के चिंतन का ग्राम स्वराज्य लाएंगे। हम डॉ. अंबेडकर की कल्पना को सम्मान दिलाएंगे। हम डॉ. हेडगेवार के विचार का वैभवशाली राष्ट्र बनाएंगे। हम राम जी की सेना बनकर देश में रामराज्य लाएंगे। ये पांच बातें और इन पांच महापुरुषों के सपनों से एकल अभियान संचालित हो रहा है। श्री हरि के माध्यम से वनवासी बच्चों को कथाकार बनाने की यात्रा अविस्मरणीय है। उन्होंने एकल श्री हरि को शुभकामनाएं देते हुए उसके उत्तरोत्तर प्रगति की कामना भी की।
समाज को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया श्री हरि ने – रजत शर्मा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री रजत शर्मा ने कहा कि एकल श्री हरि सत्संग समिति ने शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। समिति ने समाज को स्वावलंबन का पाठ भी पढ़ाया है। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया महामारी से प्रभावित है, भारतीय समाज ने इस बीमारी को अपने जज्बे से हराया है। एकल ने भारत के 40 करोड़ लोगों तक पहुंचकर मानवता की मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर अभी विकास की शुरुआत भी नहीं हुई है, वहां एकल ने शिक्षा की अलख जगा रखी है। वहीं श्री हरि के माध्यम से वह शिक्षा-संस्कार को पल्लवित कर रहा है।
नवाचारों को महत्व देने की आवश्यकता – सुधीर चौधरी
पत्रकार श्री सुधीर चौधरी ने एकल अभियान को अद्वितीय बताते हुए कहा कि एकल ने समाज को एक कर असंभव को संभव किया है। उन्होंने एकल में नवाचारों को महत्व देने की बात करते हुए कहा कि अब आने वाली पीढ़ी को एकल से जोड़ना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि संगठन इस कार्य को पूरा करेगा। श्री हरि के कार्यों पर प्रकाश डालते हुये उन्होंने कहा कि जब शिक्षा में संस्कार मिल जाते हैं तो विश्व गुरु बन जाना कठिन नहीं होता। श्री हरि इस निमित्त जो कार्य कर रही है वे सम्पूर्ण विश्व को राह दिखा सकते हैं।
श्री हरि समाज जीवन की गीता – अंशुमान तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार श्री अंशुमान तिवारी ने एकल श्री हरि को समाज जीवन की गीता बताते हुए कहा कि शिक्षा पद्धति में विज्ञान और चरित्र का समावेश ही सही शिक्षा है। इसे शासन से दूर रखना चाहिए। शिक्षा समाज के हाथों में ही रहना चाहिए। एकल अभियान केंद्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री Bajrang Bagra ने एकल श्री हरि सत्संग समिति की कार्य योजना के बारे में बताया। कार्यक्रम के अंत में श्री हरि सत्संग समिति के कथाकारों की फ़िल्म का प्रदर्शन हुआ।
एकल श्री हरि का काम दुखों से दूर करता है – डॉ. सुभाष चंद्रा
07 मार्च को हुये कार्यक्रम सत्र में राज्यसभा सदस्य डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि एकल की 32 वर्षों की यह यात्रा अविस्मरणीय है। जब मैंने पहली बार वन यात्रा की तब से किसी न किसी रूप से मैं एकल अभियान से जुड़ा हुआ हूँ। इंसान को दो चीज़ें जोड़ती हैं। पहला दुख और दूसरा भारतीय संस्कृति। एकल श्री हरि का काम दुखों से दूर करता है। भजन, गोसेवा, वनवासी सेवा से इंसान अपना दुःख भूल जाता है।
सभी के लिए मिसाल है एकल श्री हरि – किरण चोपड़ा
वहीं वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती किरण चोपड़ा ने बताया कि एकल का कार्य मेरे दिल से जुड़ा है। आत्मनिर्भर बनाने का मूल मंत्र है शिक्षा। यह जिंदगी का सत्य है जो सभी को प्रभावित करता है। मेरे पिताजी हमेशा कहा करते थे कि मैं अपनी बच्चियों को दहेज में शिक्षा-संस्कार दूँगा। एकल ने वनवासी समाज में जिस काम का बीड़ा उठाया है उस पर मुझे गर्व होता है। भारत विश्व गुरु तब बनेगा जब इसकी जड़ें मजबूत होंगी और जड़ें मजबूत होती है शिक्षा से। इसमें एकल श्री हरि का महत्वपूर्ण योगदान होगा। एकल एनजीओ नहीं है वरन् शिक्षा के लिए विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। एकल श्री हरि का कार्य अतुल्य है, अनमोल है। वह सभी के लिए मिसाल है। जहाँ सरकारें नहीं पहुँची वहाँ एकल पहुँच जाता है और शिक्षा-संस्कार की अलख जगा देता है।
सत्र के दौरान एकल कल्चर कनेक्ट नामक ऐप का उद्घाटन श्रीमति नेहा मित्तल द्वारा हुआ। इस ऐप के माध्यम से बच्चों को मॉरल स्टोरीज़ के साथ संस्कारों की शिक्षा दी जाएगी। डॉक्टर निर्मला पेड़ीवाल द्वारा संपादित ग्रंथ वन पंचामृत का समर्पण भी सत्र में हुआ। कार्यक्रम का समापन एकल सुर ताल टोली की भव्य व रंगारंग प्रस्तुति से हुआ। इस पूरे कार्यक्रम की रचना संयोजिका श्रीमती मीना अग्रवाल व सह-संयोजिका श्रीमती मंजू केडिया (मुंबई) ने श्री राजेश गोयल के साथ की। इस कार्यक्रम के पश्चात अब वर्ष भर विभिन्न स्थानों पर एकल श्रीहरि रजत जयंती महोत्सव के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रम चलते रहेंगे जिनमें शिक्षा-संस्कार व कथाकार योजना को प्रमुखता से दिखाया जायेगा।