ज़्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी में कोई ऐसा काम करना चाहते हैं जो उन्हें लोगों के बीच प्रसिद्धि दिला दे लेकिन देखा जाए तो इस सोच के साथ किए गए काम से अक्सर प्रसिद्धि नहीं मिल पाती लेकिन जब बिना सोचे समझे लगातार समाज के लिए कोई काम करते जाते हैं या ये कहें कि अपना योगदान समाज के प्रति अपना योगदान देते हैं तो जाने- अनजाने में आप लोगों के लिए हीरो बन जाते हैं।
एक ऐसे ही शख़्स के बारे में हम आज आपको बताने वाले हैं जिन्होंने किया कुछ ऐसा कि देश भर के युवाओं के लिए पेश की एक मिसाल।हम जिनकी बात कर रहे हैं वो है महाराष्ट्र के अकोला शहर के निवासी तारिक़ फ़ैज़। तारिक़ फ़ैज़ जो MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं कि रुचि संगीत में बचपन से रही है और इस रुचि ने ही उन्हें दिलायी प्रसिद्धि। दरअसल तारिक़ ने एक ऐसा गीत लिखा जो लोगों के मन में मासिक चक्र को लेकर बसी रूढ़ियों को तोड़ने में कारगर होगा, क्योंकि ये गीत लिखा ही गया है मासिक चक्र पर। तारिक़ ने ये गीत वर्ल्ड मेस्ट्रुअल डे के अवसर पर एक NGO के कहने पर लिखा।
ऐसा करने से पहले तारिक़ भी ज़रा झिझके लेकिन एक तो समाज में जागरूकता लाने की सोच और उस पर डॉक्टरी की पढ़ाई दोनों की मदद मिली और कई दिन सोचने के बाद तारिक़ ने लिखी वो अद्भुत पंक्तियाँ जो मासिक चक्र के विषय में अलग सोच बनाने में मदद करेगी। तारिक़ ने लिखा ख़ू’न जि’स्म में बहे तो बस जा’न चले, ख़ू’न जि’स्म से निकले तो ये जहाँ चले”, मासिक चक्र से ही तो दुनिया में एक नन्हीं जान आ पाती है बस कुछ यही विचार इन पंक्तियों में तारिक़ ने पेश किया।
इस गीत के youtube में रीलिज़ होते ही लोगों ने उम्मीद से ज़्यादा पसंद किया और तो और उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भी इस विचार की तारीफ़ करते हुए उनके इस गीत को शेयर किया जिसके बाद से इस गाने को सुनने और पसंद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।