महाराष्ट्र : राजनीति में एक बार फिर उलटफेर हुआ है और नेता विपक्ष अजित पवार शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए हैं। शपथ ग्रहण के बाद अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बड़ा दावा करते हुए कहा कि पार्टी और चुनाव चिन्ह उनके साथ हैं और वह एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही अगले चुनाव लड़ेंगे।
इस तरह अजित पवार ने NCP पर दावा ठोक दिया है। वहीं शरद पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि कुछ लोग पार्टी पर दावा कर रहे हैं लेकिन यह जनता तय करेगी कि पार्टी किसकी है। इन दोनों बयानों से साफ है कि पार्टी को लेकर लड़ाई हो सकती है। ऐसे में फिर से दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों की चर्चा होगी।
1970 के दशक में भारतीय राजनीति में आया राम गया राम की राजनीति खूब प्रचलित थी। जिसके बाद साल 1985 में 52वें संविधान संशोधन के तहत दल-बदल विरोधी कानून पारित किया गया। संविधान की दसवीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून शामिल है और संशोधन के जरिए इसे संविधान में जोड़ा गया।
दल बदल विरोधी कानून के तहत किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, अगर- कोई निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है या चुनाव के बाद कोई अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाता है या वह किसी जरूरी वोटिंग से नदारद रहता है।