देहरादून: दो दिन पहले ही 4600 ग्रेड-पे मामले में चार पुलिस जवानों को सस्पेंड कर दिया गया था। उनकी गलती केवल इतनी थी कि उनकी पत्नियों और मां ने सरकार से 4600 ग्रेड-पे की मांग की थी। इधर, उच्च शिक्षा निदेशक ने एक ऐसा फरमान जारी किया है, जिसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। निदेशक ने निर्देश जारी किए हैं, जिसमें लिखा गया है कि महाविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारी राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्री को सीधे फोन नहीं लगा पाएंगे। अगर कोई इसका उल्लंघन करेगा, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से सभी प्राचार्य और संयुक्त निदेशकों को जारी निर्देश में कहा गया है कि उच्च स्तर से इस बात पर नाराजगी जताई गई है कि उच्च शिक्षा विभाग के तहत सेवारत कार्मिक उत्तराखंड कर्मचारी आचरण नियमावली की अवहेलना करते हुए सीधे अपने नाम से राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों को पत्र लिख रहे हैं।
विभिन्न प्रकरणों पर सीधे इस तरह से प्रार्थना पत्र लिखा जाना नियमों के विरुद्ध एवं विभागीय गरिमा के प्रतिकूल है। उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि दो जून के निर्देश में भी कार्मिकों को शासकीय नियमों की परिधि में रहते हुए उच्चाधिकारियों से पत्राचार करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद कुछ कार्मिकों की ओर से इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा निदेशक ने प्राचार्यों को दिए निर्देश में कहा कि इस निर्देश से महाविद्यालय के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को अवगत कराते हुए उनके नाम व हस्ताक्षर युक्त प्रति तीन दिन के भीतर निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए ताकि आगे से इस तरह से सीधे पत्र लिखने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
कुछ महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों की ओर से सीधेे मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखकर कर्मचारी आचार नियमावली का उल्लंघन किया जा रहा है। निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई प्रार्थना पत्र है तो वह उचित माध्यम से ही भेजा जाना चाहिए। ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। – डॉ. संदीप कुमार शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक