संसद सत्र में हंगामा: राज्यसभा से विपक्ष का वॉकआउट

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नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी दलों ने राज्यसभा में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी पर चर्चा की मांग की, जिसे सभापति ने खारिज कर दिया। इस पर विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया और विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट कर गए।

मतदाता सूची पर विपक्ष का हंगामा

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों ने मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया था, लेकिन राज्यसभा अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। इससे नाराज विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर दिया। इससे पहले, टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सरकार से इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी।

लोकसभा में उठा रेल टिकट का मुद्दा

लोकसभा में टीएमसी सांसदों ने रेलवे टिकट रद्दीकरण से होने वाली सरकारी आय पर सवाल उठाए। सांसदों ने कहा कि सरकार रेल टिकट रद्द करने पर करोड़ों रुपये की कमाई कर रही है, लेकिन यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।

टीएमसी सांसद ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वंदे भारत ट्रेन अमीरों के लिए ‘बिरयानी’ जैसी है, जबकि गरीबों के लिए बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, कन्याकुमारी से सांसद विजय कुमार ने रेल टिकट किराए में रियायत खत्म करने पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया।

स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर सरकार का बयान

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संसद में कहा कि कई स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को जानबूझकर इतिहास से मिटा दिया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उन सभी सेनानियों को उचित सम्मान देने का प्रयास कर रही है, जो आजादी की लड़ाई में योगदान देने के बावजूद भुला दिए गए।

राज्यसभा में लौटे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्वस्थ होने के बाद फिर से सदन की कार्यवाही संभाल ली। हाल ही में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से वह 12 मार्च को डिस्चार्ज हुए थे।

वक्फ बोर्ड संशोधन पर संसद में बहस

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 को लेकर संसद में गरमागरम बहस हुई।

  • भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने AIMPLB के विरोध पर कहा कि इस संशोधन से सबसे ज्यादा फायदा गरीब और पसमांदा मुसलमानों को होगा।
  • राजद सांसद मनोज झा ने विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि JPC (संयुक्त संसदीय समिति) ने इस पर बहस को सीमित रखा, जिससे कई चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया।

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