तौकीर रजा के बयान पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, रामभद्राचार्य को दी सीधी चुनौती

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तौकीर रजा के बयान के बाद देशभर के हिंदू धर्माचार्यों में आक्रोश देखा जा रहा है. इसी क्रम में काशी में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि यह पूरी तरह से गुंडागर्दी की भाषा है, रूह जैसा शब्द हमारे शब्दकोश से नहीं जुड़ा हुआ है तो वह क्या ला देंगे. हमारे बीच से ही धर्म परिवर्तन करने वाले ज्यादातर यहां मुसलमान हैं और हम हिंदू तो वह हैं जिन्होंने गर्दन कटवा दी लेकिन धर्म नहीं बदला. इसीलिए कोई भी धर्म हो, हमारे साथ प्रेम भाव से रहें और 78 साल से रह रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हजार साल रहे हमें कोई बाधा नहीं है. लेकिन फौलाद से टकराने की बात मत करें. अच्छी बात करें क्योंकि पत्थर से अगर सर टकराएगा तो सर चूर-चूर हो जाएगा. इसके अलावा उन्होंने इसी मामले पर राजनीतिक दलों पर भी तंज कसते हुए कहा कि यह सिर्फ कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ध्रुवीकरण के लिए किया जाता है. जिसका चुनाव में लाभ मिल सके, चतुर राजनेता किसी के भी मुंह से कुछ भी बुलवा देते हैं.
धारा 370 हटाने के नाम पर रणबीर दंड संविदा हटा देना, हिंदूओं के साथ अन्याय जैसा- शंकराचार्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से जब जम्मू कश्मीर को लेकर धारा 370 पर उनका पक्ष पूछा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के अलावा भी देश में नागालैंड और अन्य राज्य है जहां पर राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है. लेकिन वहां पर मुस्लिम आबादी कम है इसलिए हिंदू मुस्लिम राजनीति वहां नहीं हो सकती है. लेकिन, जम्मू कश्मीर में बाकी विशेष दर्जा वाले राज्यों की तुलना में स्थिति अलग रही.

उन्होंने कहा कि दूसरी सबसे प्रमुख बात कि जब जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू था तो वहां धारा 370 के अंतर्गत रणबीर दंड संविदा 298 क और ख लागू था. जिसके अंतर्गत गाय को मारने वाले को 10 साल की कड़ी कैद और जुर्माने की सजा थी. लेकिन रणबीर दंड संहिता हटने के बाद वहां पर गाय हत्या सहज हो गई ।यानी धारा 370 हटना हिंदुओं के साथ अन्याय जैसा और स्पष्ट प्रमाण है कि हिंदू पक्ष के कानून को कमजोर किया गया. इसलिए हमारा मानना है कि 370 जम्मू कश्मीर से बिल्कुल हटाइए लेकिन रणबीर दंड संविदा क और ख को भारतीय न्याय संहिता में शामिल करने के बाद ही यह फैसला लेना चाहिए.

रामभद्राचार्य को शंकराचार्य की सीधी चुनौती

रामकथा के लिए विश्व भर में मशहूर रामभद्राचार्य ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के राजनीतिक समझ पर सवाल उठाया. इस पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि वह हमसे बड़े हैं. हम उनका सम्मान करते हैं. लेकिन कभी-कभी वह ज्यादा बोल जाते हैं. उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्य में कोई भी 5 मिनट तक उनसे संस्कृत में नहीं बोल पाएंगे. लेकिन असली हकीकत यह है कि वह चारों शंकराचार्य से कभी भी सीधा आकर बात ही नहीं किए.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जम्मू कश्मीर के रणबीर दंड संविदा पर चर्चा को लेकर सीधी चुनौती दे दी. वहीं झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि वहां पर अब तक किसी भी सरकार ने गौ रक्षा के बारे में बात नहीं की. जबकि महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने गौ माता को राज्य माता का दर्जा प्रदान किया और हमारा मन प्रसन्न है. इसलिए हमने उनको आशीर्वाद प्रदान किया है. झारखंड में जो गौ रक्षा की बात करेगा उसी को हमारा आशीर्वाद प्राप्त होगा।