आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के दोहरे रवैये का एक बार फिर पर्दाफाश हो गया है. एक समाचार पत्र को मिली खुफिया जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के कॉलेजों में भारत विरोधी आतंकवादियों के बच्चों को कोटा दिया जाएगा. इनमें हिजबुल मुजाहिदीन और कश्मीर में हिंसक हमलों में शामिल अन्य अलगाववादी संगठनों के नेता शामिल हैं.
पाकिस्तान ने यह कोटा उन आतंकियों के बच्चों को दिया है जो भारत के खिलाफ लड़ते हुए मर गए. उच्च अधिकारियों के मुताबिक इस योजना को लागू करवाने में हिजबुल मुजाहिदीन के सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन का सबसे बड़ा योगदान है. इसके जरिए जम्मू-कश्मीर में लड़ रहे आतंकियों के परिजनों को स्कॉलरशिप दी जाएगी
सूत्रों के मुताबिक हिजबुल चीफ कमांडर सलाहुद्दीन यह सुझाव देता है कि किसे मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला देना चाहिए. इतना ही नहीं वह अपने सुझाव पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जरिए देता है.
पाकिस्तान ने यह योजना बनाई है कि जिन कश्मीरी किशोरों के रिश्ते आतंकवादियों और अलगाववादियों से हैं, जो भारतीय सेना के खिलाफ हैं, उनके लिए कॉलेजों में सीट आरक्षित की जाएगी.
भारतीय खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन बच्चों को पाकिस्तान में एमबीबीएस, बीडीएस, इंजीनियरिंग, ग्रैजुएशन, पोस्ट ग्रैजुएशन और अन्य सरकारी इंस्टीट्यूट्स में दाखिला दिया जाता है.
पाकिस्तानी अथॉरिटीज ने इन कश्मीरी छात्रों के लिए कोटा तीन कैटेगरी में बांटा है. इनमें से पहले वे हैं जो उनके मुताबिक शहीदों (जिन आतंकियों को भारतीय सेना ने मार गिराया) के बच्चे हैं, दूसरे एक्टिव मुजाहिद्दीन और फिर अलगाववादियों के बच्चे.
समाचार पत्र की इनवेस्टिगेशन टीम के पास कश्मीरी छात्रों की वह पूरी लिस्ट है जिनके नाम हायर एजुकेशन के लिए सलाहुद्दीन ने पाकिस्तान को भेजे हैं. उदाहरण के लिए हिजबुल चीफ ने एस इमरान नाम के छात्र का नाम पीएचडी कोर्स के लिए रेफर किया. इसके साथ कहा कि यह कश्मीरी युवा सुरक्षा कारणों से अपनी रिसर्च पूरी नहीं कर पा रहा है.
सलाहुद्दीन ने ISI को लिखी चिट्ठी में बताया है कि इमरान को मुजफ्फराबाद के बेस कैंप में भेज दिया गया है. जानकारी के मुताबिक इमरान एस मोहियूद्दीन का बेटा है और जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में रहता है. इमरान ने पंजाब से कंप्यूटर साइंस में एमएससी की और फिर मध्य प्रदेश से एम. फिल.