कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मचारियों को 27 अक्तूबर को मौत की सजा सुनाई है। इस फैसले से भारत बेहद हैरान है। उसने इस निर्णय को चौंकाने वाला बताया। हालांकि, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। हैरानी वाली बात ये है कि कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे माने जाते हैं। इसके बाद भी कतर ने आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है। बड़ी बात यह है कि ये सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं।
ये हैं 8 अधिकारी
1. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी
2. कमांडर सुगुणाकर पकाला
3. कमांडर अमित नागपाल
4. कमांडर संजीव गुप्ता
5. कैप्टन नवतेज सिंह गिल
6. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
7. कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
8. नाविक रागेश गोपाकुमार
सभी पूर्व अधिकारियों ने भारतीय नौसेना में 20 वर्षों तक अपनी शानदार सेवा दी है। इन लोगों ने प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। साल 2019 में, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। आठों भारतीय निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीस एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे। भारतीय नागरिक पिछले कुछ सालों से कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे थे।
कतर अधिकारियों के साथ मिलकर ये कंपनी नौसैनिकों को ट्रेनिंग देने का काम कर रही थी। कंपनी का स्वामित्व रॉयल ओमान वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल-अजमी के पास है। अजमी को भी पिछले साल भारतीयों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया था। मई में, दाहरा ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) घर लौट आए थे।
कतर की अदालत ने जिन आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है, वे सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं। ये अधिकारी पिछले साल अगस्त से ही कतर की जेल में बंद हैं। हालांकि, उनका क्या गुनाह है, अबतक तक यह पता नहीं चल पाया है। क्योंकि न तो भारत और न ही कतर के अधिकारियों ने उनके खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया है। जबकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि आठों भारतीयों को जासूसी के कथित एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।