रायगढ़ जिले में महाड़ के नजदीक अंग्रजों के जमाने के एक पुल के ध्वस्त हो जाने के कारण सावित्री नदी में बह गई दो बसों और उनमें सवार 22 लोगों का पता लगाने के लिए आज सुबह 300 किलोग्राम का चुंबक नदी में डाला गया है। एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि नौसेना के गोताखोरों ने आज सुबह फिर अभियान शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि प्रभावित इलाके में आज तटीय सुरक्षा के चेतक हेलीकॉप्टर ने भी खोज शुरू कर दी है।
लापता वाहनों का पता लगाने के लिए आज सुबह एक क्रेन के जरिए 300 किलोग्राम के चुंबक को नदी में डाला गया है। एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि चुंबक में कुछ फंसा है जिसे नदी से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। मुंबई से 170 किलोमीटर दूर महाड़ के नजदीक देर मंगलवार को हुई इस घटना में 22 लोगों को लेकर जा रही दो सरकारी बसें बह गयी थी। कल 14 घंटे की सघन तलाश और बचाव अभियान के बावजूद कोई भी जीवित व्यक्ति या शव नहीं मिल सका था। माना जा रहा है कि दो बसों के अलावा, कई अन्य वाहन भी उफनती नदी में बह गये हैं।
इससे पहले खबर आयी थी कि सघन तलाशी के दौरान दो शव बरामद किए गये हैं। हालांकि बाद में जिला पुलिस ने स्पष्ट किया कि कल रात तक कोई शव बरामद नहीं किया गया। रायगढ़ जिला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सचिन पाटिल ने कल देर शाम बताया, यह गलत खबर थी, अभी तक कोई भी शव बरामद नहीं किया गया है। इस बीच, शिवसेना ने आज तीन महीने पहले पुल को तमाम तरह की मंजूरी दिए जाने पर भी सवाल उठाया।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, मई में ब्रिटिश कालीन पुल को यातायात पात्रता प्रमाण पत्र किस आधार पर जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि ब्रिटिश कालीन सभी पुलों की जगह नये पुल बनाए जाने चाहिए। हम तभी कह सकते हैं कि हमने सबक लिया है। कल तलाशी एवं बचाव अभियान में 28 मरीन कमांडो, राष्ट्रीय आपदा कार्य बल के लगभग 100 जवान और तटीय सुरक्षा के 25 जवानों को लगाया गया था। पीडब्ल्यूडी मंत्री चंद्रकांत पाटिल और विपक्षी कांग्रेस के नेता राधाकष्ण विखे पाटिल समेत मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया। जिला अधिकारियों के मुताबिक, बसों में से रायगढ़ के जयगढ़ से मुंबई की ओर जा रही थी जबकि दूसरी बस राजापुर से बोरीवली आ रही थी।