जोशीमठ:ज्योतिष्पीठाधीश्वर और द्वारका शारदापीठा धीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। उनके ब्रह्मलीन होने से संत समाज, उत्तराखंड और देशभर में शोक की लहर है।
उन्होंने मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में आखिरी सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। कुछ दिन पहली ही स्वरूपानंद सरस्वती ने अपना 99वां जन्मदिवस मनाया था, जिसमें एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत कई बड़े नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी। उनके निधन पर कई नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए शोक संवेदना व्यक्त की हैं।
वे स्वतन्त्रता सेनानी, रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले और रामजन्मभूमि के लिए लम्बा संघर्ष करने वाले, गौरक्षा आन्दोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष, पाखण्डवाद के प्रबल विरोधी रहे थे।
यह सूचना पूज्यपाद ब्रह्मीभूत शंकराचार्य के तीनों प्रमुख शिष्यों स्वामी सदानन्द सरस्वती, स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती एवं ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी द्वारा दी गयी है।
नूतन सवेरा परिवार जगद्गुरु शंकराचार्य के देवलोक गमन पर उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।