इस्लामाबाद – पाकिस्तान ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आत्मघाती हमले में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर की कथित संलिप्तता को लेकर उसे बिना किसी ठोस सबूत गिरफ्तार अथवा हिरासत में नहीं लिया जायेगा।
‘द न्यूज’ के अनुसार मसूद को गिरफ्तार करने के प्रश्न पर एक महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारी ने कहा,”बिना किसी ठोस सबूत अथवा किसी अपराध के हमें मौलाना मसूद अजहर को गिरफ्तार क्यों करना चाहिए?”
आधिकारिक सूत्रों के दावा किया है कि मसूद अजहर की पुलवामा हमले में संलिप्तता के सबूत के तौर पर भारत की ओर से पेश दो पृष्ठों के डोजियर की गृह मंत्रालय ने कानून प्रवर्तन और अन्य हितधारकों के साथ गहरायी से समीक्षा की लेकिन उसमें ऐसा नहीं मिला जो मसूद के खिलाफ ठोस सबूत बनता है।
सूत्रों के अनुसार डोजियर में निष्क्रिय संगठन के 22 सदस्यों की पुलवामा हमले में शामिल होने की अाशंका व्यक्त की गयी है। डाेजियर का मसौदा अपने आप में प्रमाण है कि भारत के पास इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्पता का कोई सबूत नहीं है। डोजियर में मसूद के अलावा उसके भाई मुफ्ती अब्दुर रउफ और उसके बेटे हामिद अजहर के नाम भी हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकार ने आतंकवाद निरोधक कानून,1997 की चौथी अनुसूची के तहत आने वाले लाेगों को ही गिरफ्तार करने का निर्णय लिया है। भारत ने डोजियर में जिन लोगाें के नाम शामिल किये हैं उनमें से समूद अजहर के भाई और बेटे के खिलाफ आतंकवादी निरोधी कानून के तहत पहले की कार्रवाई की जा चुकी है। उन्हें एक माह के लिए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि मसूद अजहर का नाम ना तो आतंकवाद विरोधी कानून की चौथी अनुसूची में है और ना ही किसी आपराधिक घटना में ही शामिल है।
सूत्रों ने बताया कि भारत ने 27 फरवरी को पाकिस्तानी उच्चायुक्त को डाेजियर सौंपा था जिसमें 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद के समूद समेत संगठन के 22 सदस्यों पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।