बीएसएनएल सीएमडी की लापरवाही के चलते अटक गया लाखों कर्मचारियों का वेतन

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नई दिल्ली – इस साल की शुरुआत में बीएसएनएल के शीर्ष प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों के पैसे में गबन का मामला सामने आने के बाद दूरसंचार विभाग (डॉट) ने आर्थिक संकट से जूझ रहे बीएसएनएल को पैसा देने से इनकार कर दिया है। नतीजतन अपनी स्थापना के बाद पहली बार बीएसएनएल के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने का पैसा नहीं है।

बीएसएनएल के 1.76 लाख कर्मचारियों को फरवरी माह के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। इस बारे में बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसा जारी करने की मांग की है।

बताया जाता है कि बीएसएनल के शीर्ष प्रबंधन इस मामले में उदासीन बना हुआ है। खासतौर से बीएसएनएल की मैनेजेंग डायरेक्टर अनुपमा श्रीवास्तव ने कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसा हासिल करने के लिए जरूरी शर्तें पूरी नहीं की, इसीलिए सरकार ने पैसा जारी करने से इनकार कर दिया।

इसके अलावा बीएसएनएल गुहार लगा रहा है कि कर्मचारियों का वेतन देने के लिए उसे बैंक से कर्ज लेने की छूट दी जाए, लेकिन दूरसंचार विभाग (डॉट) में उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। कहा जा रहा है कि डॉट ने गैरकानूनी तरीके से बीएसएनएल को अपनी संपत्तियां ट्रांसफर की हैं, इसलिए इन संपत्तियों पर कोई कर्ज नहीं मिलने वाला। ऐसे में बैंको को गारंटी डॉट को देनी चाहिए, क्योंकि बीएसएनएल कानूनी तौर पर कोई कर्ज नहीं मिल सकता।

सूत्रों का कहना है कि बीएसएनएल कर्मचारियों के जीपीएफ का पैसा भी समय से नहीं जमा करा रहा है। बीएसएनएल को यह पैसा हर माह के आखिर में डॉट के पास जमा कराना होता है। सरकारी सूत्रों ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि, “जीपीएफ में जमा पैसे पर सरकार 8 से 8.5 फीसदी तक ब्याज देती है। लेकिन बीते तीन-चार माह से जीपीएफ का पैसा ही नहीं जमा कराया गया है।” ऐसे में कर्मचारियों को जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज का भी घाटा हो रहा है। इस तरह बीएसएनएल का शीर्ष प्रबंधन खुलेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक आपराधिक लापरवाही है और इसके लिए बीएसएनएल के आला अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

सूत्रों ने यह भी बताया कि बीएसएनएल जो भी पैसा कमा रहा है उसका इस्तेमाल राजस्व मद में हो रहा है, और बीएसएनएल की क्षमता को बेहतर करने के लिए कोई पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है। बीएसएनएल में कुप्रबंधन को इसी से समझा जा सकता है कि दक्षिण के जिन सर्किल, खासतौर से केरल से उसे मुनाफा हो रहा था, लेकिन इन सर्किल को सरकारी कंपनी ने बैंकों के पास गिरवी रख दिया है। और अब हालत यह है कि बैंको का ब्याज चुकाने तक के पैसे उसके पास नहीं हैं।

देश की सबसे बड़ी सरकारी संचार कंपनी के अफसरों का कहना है कि, “एक तरफ तो सीएमडी सार्वजनिक तौर पर बीएसएनएल को उबारने की योजना और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की बात करती हैं, लेकिन होता उसका बिल्कुल उलटा है।”

बीएसएनएल के कुल खर्च में करीब 55 फीसदी वेतन मद में जाता है। वहीं हाल के दिनों में बीएसएनएल के राजस्व में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। अफसरों का कहना है कि “जब तक बीएसएनएल में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश नहीं किया जाएगा, इसके दिन नहीं फिरेंगे।”

सूत्रों ने बताया कि कंपनी के शीर्ष प्रबंधन को तो समय पर वेतन मिल रहा है लेकिन डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान रुका हुआ है। सूत्रों ने शिकायत की कि तमाम शिकायतों के बाद भी शीर्ष प्रबंधन को नहीं बदला जाना एक सियासी साजिश की तरफ इशारा करता है।

अधिकारी और कर्मचारी बताते हैं कि, “बीएसएनएल को अभी तक 4जी स्पेक्ट्रम नहीं दिया गया है। सरकार की तरफ से भी इस बात की कोशिश नहीं हो रही है कि बीएसएनएल में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए निवेश किया जाए।”