नई दिल्ली – कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला ने जो देश विरोधी बयान दिया है उसका मुंह तोड़ जवाब अब देश के मुसलमानों को भी देना चाहिए। देश का कोई नागरिक जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं कभी नहीं चाहेगा कि उनका अपना वतन हिन्दुस्तान मिट जाए। यह भी कोई नहीं चाहेगा कि कश्मीर भारत से अलग हो जाए। कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के संबंध में महबूबा का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो हिन्दुस्तान मिट जाएगा।
वहीं फारुख का कहना है कि कश्मीर आजाद हो जाएगा। असल में यही तो पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर अलग हो जाए और हिन्दुस्तान मिट जाए। यानि सिर्फ मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान रहे। भारत में इन दिनों लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा। चुनाव में ऐसे दल भी भाग ले रहे हैं जिनके नेता महबूबा और अब्दुल्ला के समर्थक हैं।
देश के नागरिकों के पास यह सही मौका है कि जब हिन्दुस्तान को मिटाने वालों और उनके समर्थकों को सबक सिखाया जा सकता है। चूंकि लोकतंत्र में वोट ही बुलेट है, इसलिए इस बार वोट का उपायोग बुलेट की तरह ही करना चाहिए। वोट के माध्यम से देश विरोधी नेताओं को सबक सिखाना चाहिए। देश के नागरिक यह अच्छी तरह समझ लें कि महबूबा और फारुख परिवार की नीतियों से चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर से पीट पीट कर भगा दिया गया। अब जब कश्मीर में एक तरफा माहौल है तो हिन्दुस्तान को मिटाने की बात की जा रही है। सवाल उठता है कि कश्मीर से 370 हटने से देश के आम मुसलमान का क्या नुकसान होगा? अनुच्छेद 370 के लागू रहने पर क्या यूपी, बंगाल, बिहार आदि राज्यों में रहने वाला मुसलमान कश्मीर में बस सकता है?
जब देश के आम नागरिक को अनुच्छेद 370 से कोई लाभ नहीं है तो फिर लागू रखने का क्या फायदा है? जब हम धर्म निरपेक्षता की बात करते हैं तो फिर कश्मीर में देश के आम लोग क्यों नहीं रह सकते? क्या देश में ऐसी सरकार नहीं होनी चाहिए जो कश्मीर में हिन्दुओं को वापस बसाए? महबूबा और अब्दुल्ला खानदान कश्मीर की आजादी की बात करते हैं, उन्हें जरा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुसलमानों के हालात देख लेने चाहिए। पाक कब्जे वाले कश्मीर के मुसलमान भूखों मरने की स्थिति में है, जबकि हमारे कश्मीर के मुसलमानों को अनेक रियायतें दी जा रही हैं। यदि महबूबा और फारुख जैसे नेता कश्मीर के युवाओं को भड़काना छोड़ दें, तो कश्मीर फिर से स्वर्ग बन जाएगा। कश्मीर की तरक्की तभी है, जब हिन्दु मुसलमान भाईचारे के साथ रहे। केन्द्र सरकार को चाहिए कि महबूबा और फारुख जैसे नेताओं की सुरक्षा तत्काल छीन ली जाए। जब ये नेता हिन्दुस्तान को ही मिटाने में लगे हुए हैं तो फिर इन्हें सरकारी सुरक्षा और सुविधा क्यों दी जा रही है?
दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने इस बार लोकसभा चुनाव के मौके पर मतदान को लेकर सकारात्मक पहल की है। 9 अप्रैल को बुखारी ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस बार मतदान के लिए मुसलमानों से कोई अपील नहीं की जाएगी। मुसलमान अपने विवेक से वोट दें। आमतौर शाही इमाम किसी राजनीतिक दल को वोट देने की अपील करते हैं, लेकिन इस बार जामा मस्जिद की ओर से सकारात्मक पहल की गई है।