उत्तराखंड : क्या खत्म हो जाएगा जोशीमठ, इतने खतरनाक हैं हालात, पढ़ें रिपोर्ट

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चमोली: शंकराचार्य के सदियों पूर्व बसाए गए जोशीमठ (ज्योर्तिमठ) नगर में लगातार हो रहे भू-धंसाव के कारण नगर के 561 मकान, होटल और दुकानों में दरारें आ चुकी हैं। जबकि, 77 परिवार मकानों को छोड़कर अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट हो गए हैं। प्रशासन ने अग्रिम आदेशों तक एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाढ़ जलविद्युत परियोजना और मारवाड़ी-हेलंग बाईपास मोटर मार्ग निर्माण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

इसके साथ ही एशिया की सबसे लंबी रोपवे जोशीमठ-औली को भी सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है। गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम ने जोशीमठ में भू-धंसाव का प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया।

गढ़वाल आयुक्त ने जोशीमठ में प्रभावित परिवारों के भवन, होटल और अन्य जगहों पर तत्काल आंकलन करने के लिए बद्रीनाथ मास्टर प्लान में कार्यरत पीआईयू डिवीजन लोक निर्माण विभाग के सभी तकनीकी कर्मियों को अग्रिम आदेशों तक अधिकृत किया है। इसके साथ ही भू-धंसाव की बढ़ती समस्या को देखते हुए जोशीमठ में एनडीआरएफ दल की तैनाती के भी निर्देश दिए हैं।

प्रभावित परिवारों को शिफ्ट करने के लिए जिला प्रशासन ने NTPC और HCC कंपनियों को एहतियातन अग्रिम रुप से 2-2 हजार प्री-फेब्रिकेटेड भवन तैयार कराने के भी आदेश जारी किए हैं। प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को नगरपालिका, ब्लाक, बीकेटीसी गेस्ट हाउस, जीआईसी, गुरुद्वारा, इंटर कालेज, ITI तपोवन सहित अन्य सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था की गई है।

भू-धंसाव बढ़ने से खतरे की जद में आए भवनों को चिन्हित किया जा रहा है। ताकि कोई जानमाल का नुकसान न हो। राहत शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, शौचालय एवं अन्य मूलभूत व्यवस्थाओं के लिए नोडल अधिकारी नामित करते हुए जिम्मेदारी दी गई है। भू-धंसाव के खतरे से निपटने के लिए SDRF, NDRF, पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है।