संसद में बोले राजनाथ, सार्क देशों के बीच वांटेड आतंकियों के प्रत्यर्पण की रखी मांग

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नई दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को संसद में सार्क सम्मेलन के दौरान हुई चर्चा का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने सार्क सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद ही होता है। गृहमंत्री ने बताया कि उन्होंने सार्क सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये भी कहा कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाले देशों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
गृहमंत्री ने ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का सभी सदस्य देशों को सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक देश के घोषित आतंकी को दूसरे देश में शहीद के तौर पर देखना गलत है।
गृहमंत्री के बयान का स्वागत करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर पाकिस्तान में प्रोटोकॉल के मुताबिक गृहमंत्री का स्वागत नहीं किया तो हम उसकी निंदा करते हैं।
इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को पाकिस्तान को उसी की धरती पर खरी-खरी सुना आए। नाम लिए बगैर उन्होंने आतंकवाद को संरक्षण देने और आतंकियों को महिमामंडित करने के लिए आड़े हाथ लिया। दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद राजनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने दौरे के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की बैठक में उन्होंने आतंकवाद को संरक्षण देने वाले देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की। वहीं पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ बोलने से बाज नहीं आया।
पाकिस्तानी गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने कश्मीर की ताजा घटना की ओर इशारा करते हुए आम जनता के खिलाफ हिंसा को भी आतंकवादी कार्रवाई करार दिया। इस तनातनी से दोनों देश और दूर ही हो गए।
पिछले महीने कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी को शहीद बताने पर सार्क के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि एक देश का आतंकवादी किसी अन्य देश के लिए किसी भी स्थिति में शहीद नहीं हो सकता है।
खुद आतंकवाद से पीड़ित होने के पाकिस्तान के दावे पर तंज कसते हुए राजनाथ ने कहा कि उसे अच्छे और बुरे आतंकी में फर्क करने की अपनी नीति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
किसी भी तरह के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वक्त आ गया है, चाहे वह कोई संगठन हो, व्यक्ति हो या देश हो।
राजनाथ ने मुंबई हमले के आरोपी हाफिज सईद और पठानकोट हमले के आरोपी अजहर मसूद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए भी पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि जिन संगठनों और व्यक्तियों को दुनिया आतंकी घोषित कर चुकी है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
उनका इशारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लश्करे तैयबा, जमात उद दावा और जैश ए मोहम्मद को आतंकी संगठन और हाफिज सईद को आतंकी घोषित किए जाने की ओर था। उन्होंने कहा कि इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही मुंबई और पठानकोट हमले के पीड़ितों का न्याय मिल सकेगा।
हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है, जबकि अजहर मसूद के जैश ए मोहम्मद के खिलाफ पठानकोट एयरबेस पर हमला करने के सुबूत हैं।
राजनाथ ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई के लिए सार्क देशों के बीच आतंकियों के प्रत्यर्पण के लिए पुख्ता प्रणाली बननी चाहिए। ताकि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद कोई सजा से बच नहीं सके।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम समेत लगभग चार दर्जन से अधिक आतंकी और अपराधी हैं, जिन्हें सौंपने की भारत लंबे समय से मांग करता रहा है।
कश्मीर को कभी पाकिस्तान का हिस्सा बनाने और बुरहान वानी को शहीद बताने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ उद्घाटन भाषण में विवादित मुद्दे उठाने से बचे। उन्होंने सार्क प्रतिनिधियों को अपने यहां चलाए जा रहे आतंक विरोधी आपरेशन जर्ब-ए-अज्ब की जानकारी दी। उनका कहना था कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित है और उससे लड़ रहा है।
दोनों देशों के बीच संबंध कितने तनावपूर्ण हैं, यह तब बिल्कुल साफ हो गया जब गुरुवार को राजनाथ की पाकिस्तानी गृह मंत्री निसार अली खान से पहली बार मुलाकात हुई। उस समय दोनों नेताओं ने औपचारिकता में भी एक-दूसरे से हाथ किसी तरह मिलाया।
दरअसल होटल में पाकिस्तानी मंत्री जब मेहमानों की अगवानी कर रहे थे, तभी दोनों का आमना-सामना हुआ। दोनों ने जिस तरह हाथ मिलाया, उसमें गर्मजोशी तो दूर, औपचारिकता का भी निर्वाह नहीं दिखा। भारतीय मीडिया को फोटो भी नहीं लेने दिया गया। इस पर एक भारतीय अधिकारी की पाकिस्तानी अधिकारियों से बहस भी हो गई।
पाकिस्तानी गृह मंत्री खान ने मुख्य बैठक के बाद सार्क प्रतिनिधियों को लंच के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन बैठक के बाद वह खुद ही वहां से चले गए। यह जानकारी मिलने के बाद राजनाथ भी लंच के लिए नहीं गए। उन्होंने होटल के अपने कमरे में अधिकारियों के साथ लंच किया और दिल्ली लौट आए।