मुंबई : फिल्म जीरो की रिलीज के करीब चार साल बाद शाह रुख खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म पठान सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। एक था टाइगर और वार जैसी जासूस थ्रिलर फिल्में बना चुके यशराज फिल्म्स ने अपनी इन जासूसी फिल्मों का यूनिवर्स बनाने की बात कही है। इसका शुभारंभ पठान से हो चुका है। पठान में टाइगर यानी सलमान खान आते हैं। फिल्म को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
कहानी यूं कि 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया जा चुका है। इससे पाकिस्तान बौखला गया है। सेना का जनरल भारत को घुटनों पर लाने के लिए जिम (जान अब्राहम) की सेवाएं लेता है। जिम का मकसद पैसे या पावर हासिल करना नहीं, बल्कि निजी है। कभी वह भी जाबांज भारतीय जासूस था, पर अब बागी हो चुका है। उसके नापाक मंसूबों को अगर कोई रोक सकता है तो वह है, भारतीय एजेंट पठान (शाह रुख खान)। जिम तक पहुंचने में पठान की मुलाकात आइएसआइ एजेंट डा. रूबीना मोहसिन (दीपिका पादुकोण) से होती है। चूंकि जासूसी थ्रिलर फिल्मों की कहानी का आधार कोई ना कोई मिशन होता है।
यहां पर भी मकसद रक्तबीज को हासिल करना है, यह एक जैविक हथियार है। जिम इसे भारत में फैलाना चाहता है। उसके नापाक मंसूबों को पठान कैसे असफल करेगा? उसके लिए कई टि्वस्ट और टर्न के साथ कहानी गढ़ी गई है। बैंग बैंग, वार जैसी एक्शन फिल्में बनाने वाले सिद्धार्थ आनंद ने निर्देशन के साथ पठान की कहानी भी लिखी है। यहां पर भी उन्होंने एक्शन पर पकड़ बनाए रखी है। हेलीकॉप्टर, बंदूक, तोप, हैंड टू हैंड फाइट, बर्फ पर बाइक के चेंजिंग के दृश्यों के जरिए रोमांचक एक्शन को गढ़ा गया है। फिल्म को मसालेदार बनाने के लिए उन्होंने एक्शन के साथ रोमांस, नाच गाना सब डाला है।
फिल्म की कमजोर कड़ी कहानी है। शुरुआत में भारतीय वैज्ञानिक का जिम सरेआम दूसरे देश में अपहरण कर लेता है। उसकी रिहाई की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। श्रीधर राघव के स्क्रीन प्ले में जब जैविक हमले का जिक्र आता है तो यह हमले कितने खतरनाक हो सकते हैं, उसके बारे में बताया गया है, लेकिन वह बहुत प्रभावशाली तरीके से दर्शा नहीं पाए हैं। वहां तक पहुंचने में भी लेखक ने काफी समय लिया है।
फिल्म में पूरा फोकस पठान पर रहा है, इस वजह से बाकी किरदारों को समुचित तरीके से पनपने का मौका नहीं मिला है। बहरहाल, यहां पर भी खलनायक और पठान के बीच अपना दमखम दिखाने को लेकर आमने-सामने सीन गढ़े गए हैं। हालांकि, इन्हें बेहतर और रोचक बनाने की भरपूर संभावना थी।
फिल्म का खास आकर्षण ‘एक था टाइगर’ के टाइगर यानी सलमान खान रहे। उन्हें कई पंचिंग लाइनें मिली हैं। फिल्म में विजुअल इफेक्ट्स (VFX) भी काफी है। फिल्म कई देशों में विचरण करती है, इसलिए आपको ध्यान रखना पड़ता है कि आप कहां हैं। वैसे इन्हें इतने देशों में नहीं भी ले जाते तो भी कहानी को सहजता से कहा जा सकता था। सचित पालोस की सिनेमौटोग्राफी बहुत खूबसूरत है। कई लोकेशन नयनाभिरामी हैं। अब्बास टायरवाला के संवाद कहीं कहीं चुटकीले हैं।
शाह रुख खान ने पहली बार विशुद्ध एक्शन फिल्म में काम किया है। यहां पर बॉडी बनाने के साथ उन्होंने अपने बाल भी बढ़ाए हैं। उन्हें भरपूर एक्शन करने का मौका मिला है। एक्शन करते हुए वह अच्छे लगते हैं। पठान के पास कहने को टीम है, लेकिन उसकी उपयोगिता कहानी में कहीं खास दिखती नहीं है।
फिल्म में आधुनिक तकनीक के जरिए इ्ंसान या वस्तु की प्रतिकिृति दिखाने की कोशिश हुई है, पर उस तकनीक का उपयोग सिर्फ एक जगह हुआ है, जबकि उसका प्रयोग कहीं और भी किया जा सकता था। दीपिका पादुकोण फिल्म में काफी ग्लैमरस दिखी हैं। बेशरम रंग गाने में केसरिया रंग की पोशाक को लेकर विवाद के बाद सेंसर की कैंची चली है।
शाह रुख के साथ इससे पहले फिल्म ओम शांति ओम, चेन्नई एक्सप्रेस और हैप्पी न्यू ईयर में काम कर चुकी दीपिका को भी यहां पर काफी एक्शन करने का मौका मिला है। एक दृश्य में रूबीना कैमरे में आती है, जिससे पता चले कि वह कहां है, पर पठान को उसने जहां फंसाया होता है, उसके बाद उसे मरा हुआ समझा जा रहा था। ऐसे में पठान की वापसी को लेकर वह कैसे आश्वस्त थी। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
रूबीना के दर्दनाक अतीत को अगर कहानी से ना भी जोड़ते तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। सहयोगी भूमिका में आए डिंपल कपाड़िया और आशुतोष राणा अपनी भूमिका साथ न्याय करते हैं। यह लार्जर दैन लाइफ फिल्म है तो इसमें दिमाग लगाने की कोशिश ना करें। फिल्म के आखिर में एक और जासूस को जोड़ने का संकेत है। बहरहाल, टाइगर 3 में आने का वादा टाइगर ने पठान से ले लिया है। यानी शाह रुख और सलमान फिर साथ दिखेंगे। इस बार टाइगर की मदद के लिए पठान आएगा।