बद्रीनाथ-केदारनाथ की तरह संरक्षित होंगे देवभूमि के मंदिर

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उत्तराखंड के संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने देवभूमि के सैकड़ों साल पुराने मंदिरों के संरक्षण की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।
योजना के मुताबिक देवभूमि के विभिन्न इलाकों में मंदिरों को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर की तरह ही संरक्षित किया जाएगा। योजना को मूर्तरूप देने के लिए पुरातत्व विभाग सर्वे करा रहा है। सर्वे के अंतर्गत विशेषज्ञों की टीमें ऋषिकेश से लेकर राज्य के उच्च हिमालय क्षेत्र के मंदिरों की पहचान करने में जुट गई हैं।
कई ऐसे मंदिर पाए गए हैं जो जंगलों में बहुत दूरदराज क्षेत्र में स्थित हैं, जहां पहुंचना आसान नही है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक ऐसे 24 प्राचीन मंदिरों की पहचान की गई है। इनमें अल्मोड़ा का वृद्ध जागेश्वर, पिथौरागढ़ का विष्णु मंदिर, अल्मोड़ा का मनकेश्वर मंदिर, प्राचीन शिलालेख कसारदेवी मंदिर, चमोली का तपोवन मंदिर, रुद्रप्रयाग का शिला मंदिर, पिथौरागढ़ का चामुंडा मंदिर, अल्मोड़ा का पावनेश्वर सहित कई मंदिर शामिल हैं।
हालांकि इन प्राचीन मंदिरों को पुरात्व विभाग ने अभी संरक्षित श्रेणी में शामिल नहीं किया है। पुरातत्व विभाग उत्तरकाशी के पुरोला, बड़कोट और रवाई जैसे इलाकों के प्राचीन भवनों का भी संरक्षण करेगा। सैकड़ों साल पुराने ये भवन उत्तरकाशी में आए विनाशकारी भूकंप को भी मात दे चुके हैं। इनके संरक्षण के लिए 50 लाख रुपये के फंड की व्यवस्था की गई है।
बागेश्वर के बागनाथ मंदिर परिसर के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर को सीधा किया जाएगा। 12वीं सदी में निर्मित इस मंदिर के एक ओर झुकने के कारण पुरातत्व विभाग इसे अपलिफ्ट करेगा। मंदिर के कमजोर पत्थरों को पुन: स्थापित कर इसके शिखर वाले भाग को ऊपर उठाया जाएगा। इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा है। स्थानीय लोग इसकी पूजा पंचकेदार के रूप में करते हैं।